गुरुवार, 30 मार्च 2023

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| |  सीता राम | | 

राम का जीवन, सीता का महत्व , लक्ष्मण का त्याग, हनुमान की भक्ति

राम जी के नाम के साथ हमे रावण भी तो याद आता है,

लंका में किया वो राक्षसों का संहार याद आता है.!


राम जी थे वो

जिन्होंने अपने राजपाट को एक पल में छोड़ दिया,

पिता के शपथ के लिए खुद का जीवन

वन की ओर मोड़ दिया.!


क्या सोचते हो तुम

की पिता तो शोक में चले गए,

फिर भी बेटा ना लौट आता है,

जरा गौर करोगे तो समझोगे

इस कठिन समय मे भी बेटा पिता का कर्ज चुकाता है.!


क्या राम जी के साथ तुम्हे कोई और याद आता है?

हनुमान और लक्ष्मण को इस सफर में कौन भूल पाता है..?


कर्ज पिता का तो भाई पर था,

फिर भी लक्ष्मण अपना संसार छोड़ चले थे...

भाई का साथ निभाने कदम से कदम मिलाये खड़े थे...!


साथ हनुमान का भी क्या खूब मिला था,

लंका को जो खुद अकेला रौंद आया था.!

भगवान के चरणों मे स्थान पाने एक वानर चल पड़ा था,

अपने भगवान के प्रतिशोध में वो रावण से लड़ पड़ा था.!


चलो ये दोनों तो वीर है,

हम सबके भी प्रिय है..!

लेकिन कुछ पूरा सा अभी ये सफर नही है,

कोई है जो पूरी बात में शामिल नही है..!


जीवन आपका हमे बहोत कुछ सिखाता है,

लेकिन एक बात है, एक फैसला है

जो दिल को नही भाता है.!

Ram ka Jivan, sita ka mahatv, laxman ka tyag, hanuman ki bhakti

संग संग आपके वो तो सब छोड़ चली थी,

पहले मायका फिर राजपाट भी

आपके प्रेम में लांघ गयी थी..!


जिस सीता के लिए आपने लंका में जाकर रावण को मारा था,

उसी सीता को आपने किसी के कहने पर क्यो धुत्कारा था..!


माना के आप को निभानी कुछ मर्यादा है,

जिस कारण ही आपका होता जयकार है...

लेकिन एक बात सच थी और रहेगी,

की सीता मैय्या का भी आप पर अधिकार है..!