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रविवार, 18 अक्टूबर 2020
आर्मेनिया-अझरबैजान संघर्ष- Conflict of Armenia-Azerbaijan
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020
भारत की बढ़ती जनसंख्या (Indian Overpopulation) - परिणाम और उपाय(Impact and Resolution)
बढ़ती जनसंख्या (Indian Overpopulation) - परिणाम और उपाय(Impact and Resolution)
आज भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा बसे बड़ा आबादी का देश है। जहा चीन की आबादी 144 करोड़ (1.44 billion) है, वही भारत की आबादी 138 करोड़ (1.38 billion) है। ये आंकड़े यूनाइटेड नेशन डेटा पर आधारित है। (based on Worldometer elaboration of the latest United Nations data.) भारत की जनसंख्या की रफ्तार को देख ऐसा कहा जाता है कि,2027 में भारत चीन को पीछा छोड़ दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या का देश बन जायेगा। (The projections – made by the UN’s Population Division (in 2019)– suggest that by 2027, India will surpass China to become the world’s most populous country.) अगर आप सोच रहे हो कि ये खुशी की बात है तो ठहरिये...
अत्याधिक जनसंख्या के परिणाम (Impact of Overpopulation on India)-
जनसंख्या बढ़ने से या आबादी बढ़ने से-
- गरीबी बढ़ना (Increase Poverty)
- बेरोजगारी बढ़ना (Increase Unemployment)
- वातावरण बदलाव (Climate Change)
- जमीन और जंगलों पर तनाव (Environmental Destructions)
- सामाजिक प्रश्नों की जटिलता बढना ( Social and Religious Conflicts)
चीन की हम दो हमारा एक पालिसी (China's one child policy)-
आजतक सभी लोग चीन की One Child पॉलिसी को अच्छी बता कर उसे भारत मे लागू करवाना चाहते थे। लेकिन चीन के इस कदम के वजह से आज वहा दुनिया मे सबसे ज्यादा लिंग असंतुलन पाया जाता है। 2015 में 30 साल बाद चीन ने खुद कबूल किया कि ये उनका एक गलत कदम था। जिस कारण चीन में 2004 में 122 लड़कों के मुकाबले 100 लडकिया पायी जाती थी। अगर वही भारत की बात करे तो 2011 के जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों के मुकाबले 914 लडकिया पायी जाती है। भारत एक रूढ़िवादी देश है, जहां आज भी लड़का घर का चिराग माना जाता है। आज भी भारत मे कई जगह लड़का ही हो इसलिए गलत तरीक़े अपनाये जाते है। ऐसे अगर भारत मे एक बच्चे की पॉलिसी लागू करेंगे, तो देश मे लिंग असंतुलन में बहोत ज्यादा बढ़ावा हो सकता है। तो भारत के लिहाज से देखा जाए तो ये सही तरीका नही है।
बढ़ती जनसंख्या को रोकने का सही तरीका (True Solution to Control Population)-
बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिये या उसे बढ़ने ना देने के लिए एक सरल और आसान तरीका है। वो है शिक्षा को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य के लिए उपाय करना। अच्छी और ऊंची शिक्षा से परिवार को नियोजित करने की समझ आती है और अच्छे स्वास्थ्य सुविधा होने से बाल मृत्यु दर में कमी आएगी। उसको अच्छे से समझने से पहले ये जानना जरूरी है की ये चीजें असर कैसे करेगी (how will it works) ?
- प्रजनन दर (Fertility Rate)-
प्रजनन दर का मतलब है कि एक औरत अपने जीवनकाल में कितने बच्चों को जन्म देती है। किताबों के अनुसार ये दर 2 होना चाहिए, ताकी जितने मरेंगे उतने ही जन्म लेकर उनकी जगह लेंगे। लेकिन प्रैक्टिकली इसे 2.2 सही कहा जाता है। क्योंकि बाल मृत्यु की वजह से इसे प्रस्थापित कर सके। तो जो देश औसतन 2.2 दर के नजतिक रहता है, वहा जनसंख्या नियंत्रण में रहती है। ऐसे में हमे जानना होगा कि इसका शिक्षा और स्वास्थ्य से क्या संबंध है?
(What is the Correlation between Literary rate and Fertility rate along with Health)
दुनियाभर में ज्यादा तर पाया गया है कि शिक्षा दर बढ़ने से प्रजनन दर कम हो जाता है। जितना ज्यादा शिक्षा का प्रचार होगा या शिक्षा अर्जित की जाएगी। उसका असर प्रजनन दर कम होने पर होता है। अगर भारत की ही बात करे तो केरल सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य है। केरला में शिक्षा दर( Literary Rate) 100% के नजदीक है और वहा प्रजनन दर सबसे कम (1.6) है। वही दूसरी और बिहार जैसे राज्य में शिक्षा दर बहोत कम है , तो वहां पर प्रजनन दर सबसे ज्यादा है। तो अगर भारत की बात करे तो ज्यादातर राज्य अब प्रजनन दर 2.2 से कम है। लेकिन कुछ राज्यों कि वजह से ये जनसंख्या असंतुलन बना हुआ है। इसके लिए वहाँ की सरकार को शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है।
ऐसे में अगर प्रजनन दर कम होता है तो भारत की जनसंख्या कम होने का खतरा भी है। क्योंकि उससे बूढ़े लोगो की तादाद बढ़ेगी और नौजवान कम हो जाएंगे। जिससे भारत की प्रगति पर असर पड़ेगा। इसलिए हम शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के ऊपर भी ध्यान देना जरूरी है। क्योंकि अच्छी स्वास्थ्य सुविधा ही बाल मृत्यु दर को कम करके जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती है। इसके लिए हमे एक अच्छी सरकार चाहे जो इन चीजों पर ध्यान दे, ना की सिर्फ बयान बाजी औऱ अलग अलग योजनाओं में जनता को फसाये। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो सरकार काम करने का वादा करे उन्हें ही जिताया जाए और वो वादा उनसे पूरा करके लिया जाए। नही तो अगली बार आप सोच लीजिये...
जाते जाते, महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की और से की गई प्रावधानों को सराहना चाहूंगा। इस कोरोना काल मे उन्होंने एक अच्छी सरकार होने को निभाया है। बेशक उसमे कई सारी खामिया पायी जाएगी, बहोत सारे लोगो को तकलीफ भी हुई। लेकिन इन सब के बावजूद पहली बार मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे जी ने जो मुंबई शहर में कोरोना को फैलने से बचाया। वो काबिले तारीफ है। इसी के साथ महाराष्ट्र में अन्य जगहों पर भी की जा रही बहोत सारी गतिविधियों को मैं सराहना चाहूंगा। इसमें और भी अच्छा अभी भी किया जा सकता है और करना चाहिए।
यही कहकर में आज का ये लेख समाप्त करता हु। आशा करता हु की ये आपको पसंद आया होगा, तो शेयर करे । ताकि और लोग भी इसके बारे में जान पाए।
शनिवार, 10 अक्टूबर 2020
MI Vs RCB | आशा ही हमे उम्मीद देती है-Hope is the key to Motivation
आशा ही हमे उम्मीद देती है-Hope is the key to Motivation
Date- 28th September 2020
MI Vs RCB- ये रोमांचक सामना (Match) आप सब ने जरूर देखा होगा। जिसमें आप Super Over के Last Ball तक Decide नही कर सकते थे, ऐसा ये कल का मैच था। अगर आपने बारीकी से देखा होगा तो सीखा भी होगा। अगर नही तो चले आइए इसी पर आपको बताते भी है और समझाते भी है। तो MI Vs RCB Match से क्या सीखा आपने? (What You Learn From Match?)
1. Match का सारांश (Match Summary) -RCB Team पहले batting शुरू करती है। जहा एक अच्छी शुरुवात मिलती है, फिर Match के Middle में कप्तान विराट कोहली (Captain Virat Kohli) को जल्दी जाना पड़ता है।लेकिन बाकी Team के प्रदर्शन से एक अच्छा Score- 201 बन जाता है। जहाँ पर लगभग 50 % आश्वस्त हो जाते है कि MI के लिए जितना मुश्किल है। MI की शुरुवात होते ही Rohit Sharma Out हो जाते है और सबको लगने लगता है कि RCB will Win the Match.
लेकिन यही से पलटवार भी शुरू होता है, जो Match आसानी से RCB जीत सकती है ऐसा लग रहा था। वो ही Match आसानी से अभी MI जीतेगी ऐसा लगने लगता है। आखिरी की 2 Balls पर Match पलटकर फिर से Tie हो जाता है। Match फिर Super Over में चला जाता है।
Super Over में बड़ी मुश्किलों के बाद ये Match की जीत RCB के पक्ष में जाती है।
2- सबक / सीख (Learning Lesson)-
इतने Exciting Match की आखिर में पलभर में जीत RCB की तरफ होती, दूसरे पल में MI के तरफ। अगर Rohit, De cock और Hardik के Out होने पर बाकी Team हौसला हार जाती तो क्या ये मुमकिन था जीत के करीब जाना? दूसरी और अगर आखरी Over में RCB लगातार दो 6 के बाद अगर उम्मीद हार देती तो Match क्या Tie हो पाता? उसी तरह सामने इतने दिग्गज खिलाड़ी होने के बावजूद Saini ने पूरी मेहनत के साथ Over डाली, अगर वो उम्मीद खो देते या हौसला खो देते तो क्या होता? उसके बाद Virat Kohli और De Villiers हौसले से ना खेलते तो क्या जीत पाते आखरी ball पर?
दोस्तों, इस पूरे Match पर आपने गौर किया होगा तो आपको पता चला होगा कि दोनों ही Team के Players हौसले के साथ खेल रहे थे। जहाँ पर एक ही उम्मीद , एक ही लक्ष्य और एक ही Goal था - जीत का। तो आपको भी तो वही करना है जिंदगी में, वो ही सोचना है।
3- स्पष्टीकरण ( Clarification) -
साथियों जीवन भी तो match के अनुसार ही है। जब कोई Problem नहीं तब अपना Platform बनाओ, बिना किसी Risk से अपने Goal की और अपने लक्ष्य की और बढ़ते जाओ। जैसे ही लगने लगे की अब आगे आपका सफर संभलकर और समझकर चलना है तो अपना रास्ता बनाओ। मुश्किल को हल कर अपने लक्ष्य की और बढ़ते जाओ। हो सकता है आप हार जाओ, लेकिन उम्मीद के साथ कोशिश तो करो। ताकि बाद में ये ना कह सको की अगर कुछ करता तो शायद में मुकाम तक पहुंच पाता। आप को कोशिश कभी बेकार नही जाती, आपकी वो ही उम्मीद फिर से उभरने की आशा दिखाती है। कही पर उम्मीद के बारे में पढ़ा था कि
"उम्मीद के बगैर आदमी जीवित ही नही रह सकता।"
उसी के साथ हमारी भारत की बॉक्सर (Indian Boxer) मेरी कोम (Mary Kom) जी कहती है-
" एक हार के बाद भी जिंदगी में बहुत सारे अवसर मिलते है।"
और अलीबाबा के फाउंडर (Founder of Alibaba)- जैक मा कहते है- "Giving up is the Greatest Failure in Life."
तो दोस्तो, आखिर में यही कहूंगा कि सपना अगर बड़ा होगा तो मुश्किलें जरूर आयेंगी। उन्ही मुश्किलों से निकलने का रास्ता भी ढूंढना है और अपनी मंज़िल तक भी पहुंचना है। क्योंकि
"बिना मेहनत कभी जीत नही मिलती और मिल भी जाये तो उसकी कोई कीमत नही बचती।" खुशी तो तब मिलती है जब उस मंजिल को आप ने मेहनत से पाया हो।
इसी के साथ अपना लेख यही खत्म करता हु। आपके अभिप्राय जरूर बताये और मेरे इस Post को Share जरूर करे। अगर किसी भी तरह से कुछ गलत लिखा होगा तो माफी चाहूंगा और आगे भी आप पढ़ने आएंगे, ऐसी आशा करूँगा।